Sunday, November 23, 2008

Kaahe Ree Nalinee - Kabirdas

Kaahe Ree Nalinee - Kabirdas

काहे री नलिनी तूं कुमिलानी ।
तेरे ही नालि सरोवर पानीं ॥
जल में उतपति जल में बास, जल में नलिनी तोर निवास ।
ना तलि तपति न ऊपरि आगि, तोर हेतु कहु कासनि लागि ॥
कहे 'कबीर' जे उदकि समान, ते नहिं मुए हमारे जान ।

- कबीरदास

No comments:

My Blog List