Saturday, September 12, 2009

Meraa Kachchaa Aangan - Deepmala Mahla

मेरा कच्चा आंगन

सौंप दी है तुम्हें
अपने सपनों की धरती
अपने सपनों का आकाश ...

अब बोओ तुम बीज
भरो तुम रंग।
इन्द्रधनुष के ... चांदनी के ... अमावस के ...
या फिर मेरे तुम्हारे।
फिर जियो तुम
और पियो तुम।

लौटा नहीं सकते तुम मुझे
मेरे हिस्से के ज़मीं अम्बर
क्योंकि अब मैं नहीं हूँ ...
मैं तो हो गयी हूँ तुम।

आती है ना तुम्हें
महक मेरे कच्चे आंगन की
अपने दिल से ...

- दीपमाला महला


No comments:

My Blog List