Tuesday, August 11, 2009

Aaj Nadi Bilkul Udaas Thi - Kedarnath Agarwal

आज नदी बिलकुल उदास थी

आज नदी बिलकुल उदास थी।
सोयी थी अपने पानी में,
उसके दर्पण पर -
बादल का वस्त्र पड़ा था।
मैंने उसे नहीं जगाया,
दबे पाँव घर वापस आया।

- केदारनाथ अग्रवाल


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