Tuesday, August 11, 2009

Soye Hain Ped - Maheshwar Tiwari

सोये हैं पेड़

कुहरे में
सोये हैं पेड़।
पत्ता-पत्ता नम है
यह सबूत क्या कम है

लगता है
लिपट कर टहनियों से
बहुत-बहुत
         रोये हैं पेड़।

जंगल का घर छूटा,
कुछ कुछ भीतर टूटा
शहरों में
बेघर होकर जीते
सपनो में खोये हैं पेड़।

- माहेश्वर तिवारी


No comments:

My Blog List