Tuesday, August 18, 2009

Chaand Maddham Hai - Sahir Ludhianvi

चांद मद्धम है

चांद मद्धम है, आसमां चुप है।
नींद की गोद में जहां चुप है।

दूर वादी पे दूधिया बादल
झुक के पर्वत को प्यार करते हैं।
दिल में नाकाम हसरतें लेकर,
हम तेरा इन्तज़ार करते हैं।

इन बहारों के साये में आ जा
फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे।
ज़िन्दगी तेरे नामुरादों पर
कल तलक मेहरबां रहे न रहे।

रोज की तरह आज भी तारे
सुबह की ग़र्द में न सो जायें।
आ तेरे ग़म में जागती आंखें
कम से कम एक रात सो जायें।

चांद मद्धम है, आसमां चुप है।
नींद की गोद में जहां चुप है।

- साहिर लुधियानवी


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