Tuesday, August 11, 2009

Priya Tum - Manoshi Chatterjee

प्रिय तुम...

प्रिय तुम मेरे संग एक क्षण बाँट लो
वो क्षण आधा मेरा होगा
और आधा तुम्हारी गठरी में
नटखट बन जो खेलेगा मुझ संग
तुम्हारे स्पर्श का गंध लिये

प्रिय तुम ऐसा एक स्वप्न हार लो
बता जाये बात तुम्हारे मन की जो 
मेरे पास आकर चुपके से
जब तुम सोते होगे भोले बन
सपना खेलता होगा मेरे नयनों में

प्रिय तुम वो रंग आज ला दो
जिसे तोडा था उस दिन तुमने
और मुझे दिखाये थे छल से
बादलों के झुरमुट के पीछे
छ: रंग झलकते इन्द्रधनुष के

प्रिय तुम वो बूंद रख लो सम्हाल कर
मेरे नयनों के भ्रम में जिस ने
बसाया था डेरा तुम्हारी आंखों में
उस खारे बूंद में ढूंढ लेना
कुछ चंचल सुंदर क्षण स्मृतियों के

प्रिय तुम...

मानोशी चटर्जी


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