अनुनय
मेरे अधर अधर से छू लेने दो!
अधर अधर से छू लेने दो!
है बात वही, मधुपाश वही,
सुरभीसुधारस पी लेने दो!
अधर अधर से छू लेने दो!
कंवल पंखुरी लाल लजीली,
है थिरक रही, नई कुसुमसी!
रश्मिनूतन को, सह लेने दो!
मेरे अधर अधर से छू लेने दो!
तुम जीवन की मदमाती लहर,
है वही डगर,
डगमग पगभर,
सुखसुमन-सुधा रस पी लेने दो!
मेरे अधर अधर से छू लेने दो!
अधर अधर से छू लेने दो!
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